चंद्रयान 3 की अपार सफलता के बाद हमारे प्यारे भारत की स्पेस एजेंसी ISRO अंतरिक्ष के रहस्यों की खोज में सफलता की नई सीढ़िया चढ़ती जा रही है और इसी क्रम में सितम्बर 2 को Aditya L1 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद इसरो अभी तक के सबसे बड़े moon मिशन पर काम कर रही है। जिसे हम चंद्रयान 4 भी कह सकते हैं पर अंतरिक्ष विज्ञान के कुछ लोगों का कहना है कि इस मिशन का नाम LUPEX (Lunar Polar Exploration Mission) होगा ।
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इस मिशन के अंदर चन्द्रमा पर एक लैंडर और एक रोवर भेजा जायेगा लकिन यह मिशन ISRO का अभी तक का सबसे बड़ा मून मिशन होगा क्योंकि इस मिशन में दुनिया की 4 सबसे बड़ी स्पेस एजेंसीज शामिल होंगी जोकि अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA , जापान की JAXA और भारत की इसरो है। ये चारों स्पेस एजेंसीज मिलकर चाँद पर एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट भेजेंगी जिसकी क्षमता अभी तक के सभी चंद्रयान मिशन से बहुत ज्यादा होने वाली है। आइये अब हम बात करते हैं कि इस मिशन के तहत स्पेस एजेंसीज किस चीज की खीज करना चाहती हैं। Lupex मिशन का उद्देश्य चाँद के साउथ पोल पर पानी की खोज करना होगा क्योंकि यह माना जाता है कि चाँद के साउथ पोल पर पानी के विशाल भंडार हैं जो कि वहां बर्फ के रूप में मौजूद हैं और चाँद पर मानव बस्ती बसाने के लिए जरूरी संसाधनो की खोज करना बहुत महत्तवपूर्ण है ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि चाँद पर मानव बसती बसाई जा सकती है या नहीं और Lupex मिशन का यही काम होगा इस मिशन के अंदर जापान की JAXA रोवर बनाएगी और ISRO लैंडर इस मिशन के लांच होने का संभावित समय है साल 2026 और यह मिशन लगभग 3 महीनो का होगा।
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कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि चंद्रयान 3 मिशन का काम भी तो यही है तो फिर नए मिशन की क्या जरूरत मैं आपके मन की इस शंका को भी दूर कर देता हूँ।
Lupex मिशन की क्षमता चंद्रयान 3 मिशन से बहुत ज्यादा है और इसे चाँद के बिल्कुल एक्सेक्ट साउथ पोल पर लैंड कराया जायेगा जबकि चंद्रयान 3 को चाँद के साउथ पोल के एक क्षेत्र में लैंड कराया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि चाँद के साउथ पोल पर सूर्य की रौशनी नहीं पहुंचती है और चंद्रयान 3 को काम करने के लिए सूर्य की रौशनी की जरूरत है। इसलिए इस मिशन की अवधि सिर्फ 14 दिन की थी जबकि Lupex मिशन लगभग 3 महीनों की लिए चाँद पर कार्य करेगा।